Editorial : भूकंप पर नहीं इंसानी जोर, तुर्किये-सीरिया की हो भरपूर मदद
- By Krishna --
- Tuesday, 07 Feb, 2023
Earthquake not human emphasis
Earthquake not human emphasis : तुर्किये और सीरिया (Turkeys and Syria) में भूकंप की प्राकृतिक आपदा (Earthquake Natural Disaster) ने जो कहर बरपाया है, उसने पूरी मानवता को झिंझोड़ दिया है। लोगों की जब सुबह नींद भी ठीक से खुली नहीं थी, वे मौत के आगोश में समाते चले गए। रिक्टर पैमाने पर 7.8 की तीव्रता का भूकंप आखिर कब संभलने का मौका देता है। यह भी कितना त्रासदीपूर्ण है कि इस तीव्रता के बाद फिर 7.6 और 6.0 तीव्रता के दो और भूकंप आए। यानी जैसे प्रकृति ने यह विचार लिया था कि इस क्षेत्र को दहलाने में कोई कसर बाकी नहीं रहनी चाहिए। प्रकृति के इस रौद्र रूप की वजह से 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है वहीं अभी मलबे को हटाकर शवों को निकालने का काम जारी है, जिससे आशंका है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है। यह भी देखिए कि इलाके में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और भूकंप के समय भी बारिश हो रही थी। ऐसे मौसम में लोग अपने घरों में दुबके हुए थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मौत उनके दरवाजे नहीं अपितु बिस्तरों के पास आ पहुंची है।
भूकंप (Earthquake) के बाद इलाके में राहत और बचाव का कार्य जारी है, लेकिन जिस प्रकार का मौसम इस जगह बना हुआ है, वह इन कार्यों में बाधा बन रहा है। तुर्किये और सीरिया पहले से आतंरिक विद्रोह जैसे हालात से जूझ रहे हैं। यहां के नागरिकों को जैसे ऐसे हालात से जूझते रहने की आदत हो गई है। भूकंप के बाद सडक़ों पर केवल पुरुष ही नजर आए और उनके स्थिर चेहरों पर कोई भाव नहीं थे। उनके हाथों में अपने बच्चों, बड़ों की लाशें थीं, लेकिन वे बगैर किसी चीख-पुकार के उन्हें लेकर बदहवास दौड़ रहे थे। यह मानवता का कैसा चेहरा है? संकट कभी भी और कहीं भी सामने आ सकता है। तुर्किये एक वैभवशाली देश है लेकिन भूकंप ऐसी विपदा है जोकि पूरी प्रणाली को तहस-नहस कर देती है। तब वैश्विक मदद आवश्यक हो जाती है। तुर्किये और भारत के संबंध बीते वर्षों में खटासपूर्ण हो गए हैं। तुर्किये मुस्लिम देशों का नेतृत्व करते हुए पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। बावजूद इसके भारत की ओर से न केवल तुर्किये और सीरिया में बचाव दल भेजे गए हैं अपितु सेना ने वहां अस्पताल बनाने की रूपरेखा तैयार की है। हालांकि इसके लिए तुर्किये की ओर से भारत का आभार जताते हुए उसे दोस्त की संज्ञा दी गई है। जाहिर है, असली दोस्त की पहचान मुश्किल समय में ही होती है और भारत इस परीक्षा में हमेशा खरा उतरता है।
विज्ञानी बताते हैं कि तुर्किये भूकंप के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक स्थानों में से एक माना जाता है। इसकी वजह टेक्टोनिक प्लेट्स हैं, आठ करोड़ की जनसंख्या वाला तुर्किये चार टेक्टोनिक प्लेट पर बसा है। इनमें से एक भी प्लेट हिलती है तो पूरे क्षेत्र में जोरदार झटके लगते हैं। तुर्किये में वर्ष 1939 में भी 7.8 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 32 हजार लोगों की जानें चली गई थीं। अब आए भूकंप के करीब 78 से अधिक झटके महसूस किए गए है, वहीं नीदरलैंड के एक शोधकर्ता ने कुछ दिन पहले ही भविष्यवाणी की थी कि इस क्षेत्र में भूकंप आएगा और उसकी तीव्रता 7.5 की होगी। जाहिर है, आजकल मौसम विज्ञान की भविष्यवाणियां बेहद सटीक और भरोसेमंद हो गई हैं। ऐसी भविष्यवाणी पर यकीन किया जाना चाहिए और सरकार को अपने नागरिकों को सचेत किया जाना चाहिए था। तुर्किये ऐतिहासिक धरोहरों का भी देश है और अब भूकंप ने न केवल मानवता को चोट पहुंचाई है अपितु ऐतिहासिक धरोहर भी नष्ट हो गई हैं। इस बीच सीरिया का दुख और गंभीर हो जाता है। यह देश गृह युद्ध से ग्रसित है और मौतों का मातम यहां आम बात हो गई है। अब जहां भूकंप आया है, वह सरकार और विद्रोहियों में बंटा हुआ है। विरोधियों के कब्जे वाले सीरियाई इलाके में लड़ाई की वजह से इमारतें पहले से ही कमजोर या क्षतिग्रस्त हो चुकी थी।
दुनिया में इससे पहले भी भयंकर तीव्रता के भूकंप तबाही मचा चुके हैं। साल 2021 में हैती में 7.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 2200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 2018 में इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में 7.5 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचाई थी। इससे पहले 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, इसमें लगभग 9 हजार लोगों की मौत हो गई थी। नेपाल की ऐतिहासिक धरोहरों को भी इसमें भारी क्षति पहुंची थी। वास्तव में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना इंसान के हाथों में नहीं है। आज का विज्ञान अपने चरम पर पहुंच गया है, लेकिन ऐसी कोई तकनीक विकसित नहीं हुई है जोकि सुनामी को रोक सके या फिर धरती के कांपने को रोक दे। विपदा और संत्रास का यह दर्द इंसान के नाम लिख दिया गया है। हालांकि जरूरत इसकी है कि ऐसी घड़ी में सभी मिलकर आपदाग्रस्त देश और उसके लोगों की मदद करें। भारत ने यही किया है, वह पूरी दुनिया का मित्र और हमदर्द है।
ये भी पढ़ें ....
Editorial:बाल विवाह अनुचित, असम सरकार की कार्रवाई सही
ये भी पढ़ें ....
Editorial: देश संविधान से ही चलेगा, चेतावनी देती हैं टकराव को जन्म